टैग पंक्तियाँ (Tag Lines)
ईश्वर की प्रेरणा से गोलोक एक्सप्रेस के संस्थापक डा.निखिल गुप्ता जी ने शास्त्रों के निचोड़ को टैग लाइनस का स्वरूप दिया है, जो इस दिव्य मंच की सोच और उद्देश्य को स्पष्ट तौर पर दर्शाती हैं। यह टैगलाइंस अपने आप में अप्रतिम व अद्भुत हैं और अपने साथ एक बहुत ही ज्ञानवर्धक संदेश लिए हुए हैं। गोलोक एक्सप्रेस की कुल छह टैगलाइन्स हैं जो इस आध्यात्मिक संगठन को विशेष बनाती हैं। भगवत कृपा से हर एक टैगलाइन एक व्यक्ति के अंदर सकारात्मक परिवर्तन लाने और उसे ईश्वर के समीप पहुंचाने का सामर्थ्य रखती है।
GE Tagline # 1
Transform The World By Transforming Yourself
स्वयं को बदल कर ही हम संसार को बदल सकते हैं।
इस टैगलाइन के अनुसार अगर हम पूरे विश्व को बदलने की चाहत रखते हैं तो सर्वप्रथम हमें स्वयं को बदलना होगा। आत्म सुधार से ही खूबसूरत संसार का सपना साकार हो सकता है। हम अक्सर दूसरों की गलतियों व विकारों को देखते हैं और उनकी चर्चा करते हैं जिससे हमारे अंदर नकारात्मकता आती है। इसके विपरीत हमें अपनी गलतियों पर ध्यान केंद्रित कर, अपने विकारों को नष्ट करने हेतु प्रयासरत रहना चाहिए और आत्मसुधार के मार्ग पर चलते हुए सकारात्मक जीवन शैली अपना कर आनंदित रहना चाहिए।
स्वयं को बदलकर दुनिया को बदलें, इस टैगलाइन के पीछे हमारा एकमात्र उद्देश्य है कि हम सब इसे गहराई से समझें, अपने ऊपर लागू करें और स्वयं में सकारात्मक परिवर्तन लाकर, एक प्रचारक के तौर पर दुनिया में सकारात्मकता लाएं। याद रहे, जो स्वयं को बदलने का प्रयास करता है, वह एक दिन विश्व को बदलने का भी सामर्थ्य रखता है।
निष्कर्ष : आत्मा सुधार ही समाज सुधार की नींव है।
GE Tagline # 2
Busy Through The Body, Free As A Soul ! Hari Hari Bol !!
शरीर से रहिए व्यस्त और आत्मा से रहिए मस्त, हरि नाम जपते हुए ।
आत्मा की दिव्य स्थिति को दर्शाती यह टैगलाइन हमें अपने कार्य करते हुए सदैव प्रभु का स्मरण करते रहने के लिए प्रेरित करती है। शरीर से रहिए व्यस्त और आत्मा से रहिए मस्त, हरि नाम जपते हुए अर्थात् हमें अपने कर्म इस शरीर से करने हैं लेकिन अंदर से सदैव प्रभु से जुड़े रहना है। निरंतर प्रभु के नाम का स्मरण करते हुए उन्हें अपने साथ महसूस करना है।
जब हम अपने हर कर्म को प्रभु द्वारा दी गई सेवा समझकर, प्रभु की प्रसन्नता के लिए और प्रभु का ही स्मरण करते हुए करते हैं तो हमारे प्रत्येक कर्म ,भक्तियुक्त हो जाते है। अतः हमें भक्ति के लिए कोई अलग से समय बनाने की आवश्यकता नहीं रहती।
जब हम अपने कर्तव्य को बोझ समझकर करते हैं तो अंदर से दुखी व परेशान रहते हैं। वहीं, जब हम हर कर्म प्रभु द्वारा सौंपा हुआ कर्तव्य समझ कर करते हैं तो दिव्य आनंद की अनुभूति करते हुए मस्ती में रहते हैं। निर्णय हमारा है, दुखी रहना है या खुशी में झूमना है।
श्रीमद भगवद्गीता में प्रभु स्पष्ट रूप से कहते हैं कि हर समय मेरा स्मरण करते हुए अपना कर्तव्य पालन करो। यही याद दिलाने के लिए यह टैगलाइन बनी है। नित्य निरंतर प्रभु का नाम जपते हुए कर्म करते रहने से, हम शरीर से व्यस्त रहते हुए भी आत्मा से मस्त रहेंगे। ऐसा करने के बहुत फायदे हैं। हम नकारात्मक सोच से बच जाते हैं, जिससे हमारी कार्य करने की एकाग्रता व उत्पादकता बढ़ती है, फलस्वरूप हम आंतरिक शांति और आनंद का अनुभव करने लगते हैं।
निष्कर्ष ; अपने सारे कार्य शरीर से पूरा करते हुए हमें मन से प्रभु स्मरण करते रहना है।
GE Tagline # 3
न शस्त्र पर न शास्त्र पर ना धन पर ना ही किसी युक्ति पर, मेरा जीवन तो आश्रित है प्रभु केवल और केवल आपकी कृपा शक्ति पर।
गोलोक एक्सप्रेस की एक और महत्वपूर्ण टैगलाइन , जो आध्यात्मिक पथ पर आगे बढ़ रहे एक सच्चे भक्त के भाव है। हमें एहसास कराती हैं कि हमारा जीवन केवल और केवल प्रभु की कृपा से ही चल रहा है। जैसे-जैसे भक्त आध्यात्मिक पथ पर आगे बढ़ता है उसे इस बात का एहसास हो जाता है कि दुनिया में किसी पर भी भरोसा नहीं किया जा सकता क्योंकि सब क्षणिक है केवल परमपिता परमेश्वर ही भरोसे के काबिल हैं वही शाश्वत हैं वही हमारे तारणहार हैं। प्रभु की कृपा शक्ति के बिना हम कुछ भी नहीं हैं ।हम जो कुछ भी कर पा रहे हैं उसमें हमारा कोई सामर्थ्य नहीं है , सब कुछ प्रभु की कृपा से ही हो रहा है।
यह टैग लाइन हमें मिथ्या अभिमान में फंसने से बचाती है और सचेत करती है कि हम सांसारिक स्तर पर कितने भी संपन्न , शक्तिशाली, सामर्थ्यवान क्यों ना हों प्रभु की कृपा के बिना हम कुछ भी नहीं है। हमारा पूरा जीवन प्रभु कृपा पर आधारित है। प्रभु की कृपा के बगैर एक सांस लेना भी मुमकिन नहीं। यह जीवन प्रभु की ही देन है जिसे हमें प्रभु के चरणों में पूर्ण रूप से समर्पित करना है। सच्चा भक्त अपने दिव्य अनुभवों से यह जान जाता है और वह अहंकार से दूर विनम्रतापूर्वक, जनकल्याण के कार्यों को निमित्त मात्र भाव से करता है। प्रभु अपने शुद्ध भक्तों के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। शुद्ध भाव से प्रभु को पुकारने से प्रभु दौड़े चले आते हैं। कृपा निधान प्रभु अपने भक्तों पर अपार कृपा करते हैं। छोटी से छोटी चीज के लिए जो भक्त पूरी तरह से प्रभु पर निर्भर रहता है, प्रभु उसे अपना दिव्य संरक्षण प्रदान करते हैं। कर्ता भाव का त्याग कर मात्र निमित्त भाव से प्रभु की कृपा शक्ति को अपने जीवन का आधार बनाते हैं आइए इस जीवन को प्रभु चरणों में समर्पित करते हैं।
सदैव स्मरण रहे कि हमारे माध्यम से कुछ भी धर्म संगत कार्य हो रहा है तो वह करवाने वाले प्रभु स्वयं हैं , हम तो केवल निमित्त मात्र हैं। प्रभु की कृपा शक्ति पर निर्भर होकर जो चलता है वहीं अध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ता है।
निष्कर्ष; हमें स्वयं को प्रभु चरणों में पुर्ण रूप से समर्पित करना है और प्रभु की कृपा पर निर्भर रहना है।
GE Tagline # 4
गोलोक एक्सप्रेस में आइए, दुःख दर्द भूल जाइए, ABCD की भक्ति में लीन होकर नित्य आनंद पाइए।
गोलोक एक्सप्रेस से जुड़े हर एक भक्त का अनुभव है, यह प्यारी सी टैगलाइन। जो भी भक्त गोलोक एक्सप्रेस से जुड़े हैं, भगवत कृपा से उनके जीवन में सकारात्मकता आई है और वे अपने दुख -दर्द से दूर आनंद को महसूस कर रहे हैं। यही सब देखकर भगवान जी के रास्ते पर चलते चलते अचानक एक विचार आया और एक सुझाव के अंतर्गत इस अनुपम टैगलाइन का निर्माण हुआ। जहां भक्त गोलोक एक्सप्रेस की एक प्रचार शैली के माध्यम से भक्ति करते हुए आगे बढ़ते हैं वहीं ABCD मॉडल के तहत भक्ति की बारीकियों को भी समझते हैं।
प्रतिदिन व्यावहारिक जीवन अनुसार यहां भक्ति करना सरलता से सिखाया जाता है। यह इतना सहज हो जाता है कि हमें भक्ति में रस आने लगता है। असली सुख की पहचान होने लगती है। भगवान के चिंतन से दुनियादारी के दुख दर्द बेअसर हो जाते हैं जिससे जीवन की भागदौड़ और दुखों से परेशान व्यक्ति भी वास्तविक खुशी को अनुभव कर आनंद में रहता है।
सभी को एक साथ लेकर चलने वाला, गोलोक एक्सप्रेस संगठन, एक परिवार आधारित दिव्य सत्संग मंच है। यहां ABCD मॉडल के माध्यम से आनंदमय जीवन जीने की कला सिखाई जाती है। विनाशकारी गतिविधियों को आध्यात्मिक गतिविधियों से बदल कर, अपने जीवन में भक्ति को प्राथमिकता देते हुए भगवान जी के साथ अपने संबंध को बेहतर बनाने के बहुत ही सरल उपाय यहां बताए जाते हैं जिसे हम अपने जीवन में उतार कर अपने दुखों से ऊपर उठकर प्रभु भक्ति में आगे बढ़ते हुए आनंद को प्राप्त करते हैं।
बहुमूल्य मार्गदर्शन और भक्तों के संग से हमें जो प्रोत्साहन और प्रेरणा मिलती है, उसके सामने संसारिक दुख दर्द भी तुच्छ लगने लगते हैं। भक्ति मार्ग पर चलते हुए प्रभु हमें इतनी शक्ति प्रदान करते हैं कि आंतरिक शांति के साथ हम सदैव आनंद में रहते हैं।
निष्कर्ष: नित्य निरंतर गोलोक एक्सप्रेस के सत्संग से जुड़े रहकर, प्रभु के चिंतन से अपने दुख दर्द को भुला कर तथा अपने सभी कर्तव्यों को भक्तिमय बनाकर, समाज को सही दिशा दिखाते हुए नित्य आनंद को प्राप्त करना है।
GE Tagline # 5
घर घर मंदिर – हर मन मंदिर
गोलोक एक्सप्रेस के उद्देश्य को दर्शाती यह टैगलाइन भक्ति की शक्ति से हर एक घर और हर एक मन को मंदिर बनाने में प्रयासरत है।
समाज से नकारात्मकता घटाना, विश्व कल्याण हेतु भक्ति का प्रचार प्रसार करना और प्रत्येक घर व प्रत्येक मन को मंदिर बनाना, गोलोक एक्सप्रेस का सपना है और इसे साकार करना हमारा लक्ष्य। संसार में रहते हुए हर मन को, हर घर को भक्तियुक्त बनाना है। अपने अंदर भगवान को पहचान, मन को मंदिर बना, अपनी गृहस्थी को गृहस्थ आश्रम बनाना है और एक दूसरे के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनना है।
भगवान जी केवल मंदिरों में नहीं अपितु सर्वत्र है , सभी के भीतर है। भगवान जी के अस्तित्व को खुद के अंदर अनुभव करना है। परिवार के साथ मिलजुलकर भक्ति कर, आपसी सामंजस्यता पूर्ण व्यवहार से अपने परिवार को मंदिर बनाकर आगे इस ज्ञान को सभी के साथ साझा करना है, जिससे सभी इसका लाभ ले सकें और एक सुंदर समाज का निर्माण हो।
भक्ति के लिए घर बार छोड़ना पड़ता है इस गलत धारणा का गोलोक एक्सप्रेस खंडन करता है। सभी भक्तों को अपने परिवार के साथ रहते हुए अपने कर्तव्यों को प्रभु की सेवा समझकर, प्रभु की प्रसन्नता के लिए करने का अभ्यास कराता हैं। निरंतर प्रभु का स्मरण करते हुए अपने कर्तव्य को पूरा करने से हमारा घर निश्चित ही मंदिर बन जाता है। ऐसा करने से हमारा मन और घर मंदिर समान पवित्र हो शांति को अनुभव करता है।
गोलोक एक्सप्रेस ऐसे कई भक्तों के परिवारों को भक्तिमय जीवन जीने और भक्ति युक्त कर्म करने को प्रशिक्षित कर रहा है और अनेकों घरों को मंदिर बनाने में सफल हुआ हैं। भगवान श्री कृष्ण जी से यही प्रार्थना करते हैं कि घर घर मंदिर – हर मन मंदिर का सपना जल्द ही साकार हो।
गोलोक एक्सप्रेस के इस उद्देश्य की पूर्णतः समाज को जरूरत है। हम सभी से विनम्रता पूर्वक अनुरोध करते हैं कि घर घर मंदिर – हर मन मंदिर के सपने को साकार करने में सहयोग करें और भगवान जी से प्रार्थना करते हैं कि हमें सक्षम बनाएं ताकि हम अनेकों लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में सफल हो सकें।
निष्कर्ष ; जहां भक्तिमय माहौल हो, सकारात्मकता हो, शांति और आनंद का वास हो ऐसे समाज का निर्माण करना है, हमें घर घर को मंदिर हर मन को मंदिर बनाना है।
GE Tagline # 6
Sharing is Caring, Caring is Love and Love is Devotion.
साझा करना देखभाल है, देखभाल करना प्रेम है और प्रेम ही भक्ति है।
असली भक्ति के मायने समझाती यह टैगलाइन हमें वसुधैव कुटुंबकम की भावना से ओतप्रोत करती है। प्रभु को प्रेम करना ही भक्ति है और यह टैगलाइन हमें प्रभु को प्रेम करने के सरल उपाय बताती है। संपूर्ण सृष्टि प्रभु ने बनाई है तो प्रभु को प्रेम करना अर्थात पूरी सृष्टि को प्रेम करना। जिससे हम प्रेम करते हैं, उसकी देखभाल करते हैं और हमारे पास जो कुछ भी है, उसे हम उनके साथ साझा करते हैं। इस तथ्य के अनुसार भक्ति का अर्थ है कि हमारे पास जो कुछ भी है, जो भी हमें प्रभु ने दिया है, जो भी हमारे प्रारब्ध से हमें मिला है अथवा जो भी हमारे अंदर योग्यता है, हमें उसे समाज कल्याण के लिए उपयोग में लाना चाहिये। अज्ञानतावश हम केवल अपने परिवार को ही अपना समझते हैं व मोहवश उनके प्रति अपने कर्तव्य को पूरा करते रहते हैं और समाज के प्रति अपने कर्तव्य को भुला बैठते हैं। गोलोक एक्सप्रैस की यह टैगलाइन हमें स्मरण करवाती है कि अगर हमें प्रभु को प्रसन्न करना है और उनकी प्रेमाभक्ति को पाना है तो हमें सभी के साथ प्रेम भाव से रहते हुए अपना सब कुछ सबके साथ साझा करना चाहिए, तभी हम आनंद को अनुभव कर पाएंगे। परम पुरूषोत्तम भगवान श्री कृष्ण श्रीमद् भगवत गीता के 18 वें अध्याय में घोषणा करते हैं कि जो भक्त मेरे इस दिव्य ज्ञान को अन्य भक्तों के साथ साझा करेगा, मैं उसे शुद्ध भक्ति प्रदान करूंगा।
प्रेम एक आध्यात्मिक भावना है जो प्रभु द्वारा रचित सृष्टि से प्रेम करना, जो कुछ भी है उसे बांटना और देखभाल करना सिखाती है। यही भक्ति की परिभाषा है और यही भक्ति का सच्चा मार्ग है।
निष्कर्ष: निस्वार्थ भाव से सभी से प्रेम करें, तन मन धन से सभी की मदद करें, विश्व कल्याण में अपना योगदान दें और भगवान की कृपा को प्राप्त कर आनंद में रहे।
गोलोक एक्सप्रेस की किसी भी टैगलाइन को अगर हम अपने जीवन में उतार लें तो समझ लीजिए कि जीवन सफल हो गया। हर एक टैगलाइन बहुत ही गहरा अर्थ लिए है जो हमें शास्त्रों के गूढ़ ज्ञान से जीवन जीने का सही तरीका बताती है।
प्रभु के प्रिय बनना हो या प्रेमाभक्ति को पाना, कीजिए चिंतन और मनन इन टैगलाइंस का। हमें सरलता से जीवन जीने का फार्मूला भी मिल जाएगा, हम अपने अंदर बहुत अच्छा बदलाव महसूस करेंगे और दूसरों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत भी बनेंगे। हरि हरि बोल।