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Saral Ramcharitmanas

Saral Ramcharitmanas (सरल रामचरितमानस)

श्री रामचरितमानस का स्थान हिंदी साहित्य में ही नहीं जगत के साहित्य में भी निराला है । रामचरितमानस का अर्थ है श्री राम के सम्पूर्ण जीवन चरित्र का गुणगान। रामचरितमानस अवधि भाषा में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा 16वीं शताब्दी में रचित प्रसिद्ध धर्म ग्रंथ है। इसकी रचना 2 वर्ष 7 माह 26 दिन में पूरी हुई।इसे संवत 1633 के मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष में राम विवाह के दिन पूर्ण किया गया। यह ग्रंथ अवधि साहित्य की महान कृति है। इसका भक्ति धारा में अद्वितीय एवं सर्वोच्च स्थान है। रामचरित मानस में 12,800 पंक्तियां हैं जो 1,073 दोहों व 7 कांडों में विभाजित है। यह गेय शैली में है, इसकी चौपाइयों में हिंदू धर्म दर्शन की  गम्भीरता  है ,सगुण और निर्गुण भक्ति के बीच का सामंजस्य है, राम के प्रति भक्ति में समर्पण है ।

रामचरितमानस का विभाजन – रामचरितमानस को मुख्य रूप से सात कांडों में विभक्त किया गया है।

1 बालकांड

2 अयोध्या कांड

3 अरण्य कांड

4 किष्किंधा कांड 

5  सुंदरकांड

6 लंका कांड

7 उत्तरकांड

श्री रघुनाथ जी का नाम उदार, अत्यंत पवित्र और मंगल करने वाला है। वेद पुराणों का सार है। पार्वती जी सहित भगवान शिव जी श्री राम जी के नाम को जपते हैं और इस नाम का चिंतन करते हैं।

मंगल भवन अमंगल हारी द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी।

जो मंगल करने वाले है और अमंगल को दूर करने वाले है , वो दशरथ नंदन श्री राम है, वो हम पर अपनी कृपा करे.)

श्री रामचरितमानस की विशेषताएं-

                        रामचरितमानस विशेषताओं का अक्षय भंडार है। यह सर्वांग सुंदर ,उत्तम काव्य लक्षणों से युक्त ,साहित्य के सभी रसों का आस्वादन करवाने वाला ,काव्य कला की दृष्टि से सर्वोच्च कोटि का आदर्श गृहस्थ जीवन ,आदर्श राज धर्म ,आदर्श पारिवारिक जीवन ,आदर्श पतिव्रत धर्म, आदर्श भ्रातृधर्म के साथ-साथ सर्वोच्च भक्ति ,ज्ञान, त्याग ,वैराग्य तथा सदाचार की शिक्षा देने वाली उत्कृष्ट कृति है। यह स्त्री ,पुरुष, बालक, युवा ,वृद्ध सभी के लिए समान रूप से लाभकारी है। भगवान राम की आदर्श मानव लीला, उनके गुण, प्रभाव ,रहस्य तथा प्रेम के गहन तत्व को अत्यंत सरल ,रोचक व ओजस्वी शब्दों में व्यक्त करने वाला ऐसा कोई दूसरा ग्रंथ हिंदी भाषा में ही नहीं, अपितु संसार की किसी दूसरी भाषा में भी नहीं लिखा गया है।इसे शिक्षित और अशिक्षित सभी बड़े श्रद्धा भाव से पढ़ते व सुनते हैं।भक्ति और सदाचार का जितना प्रचार प्रसार इस ग्रंथ के माध्यम से हुआ है, उतना कदाचित किसी ओर ग्रंथ से नहीं हुआ है। इस ग्रंथ की लोकप्रियता इसी बात से आंकी जा सकती है कि इस पर अब तक अनेकों संस्करण व टीकाएं  छप चुकी हैं।

श्री रामचरितमानस एक आशीर्वादात्मक ग्रंथ है, इसके प्रत्येक पद्य को श्रद्धालु जन मंत्रवत आदर देते हैं। इसके पठन-पाठन से लौकिक व पारमार्थिक कार्य सिद्ध होते हैं। रामचरितमानस का श्रद्धा पूर्वक पाठ करने से व इसमें आए उपदेशों का विचार पूर्वक मनन करने व उनके अनुसार आचरण करने से एवं इसमें वर्णित भगवान की मधुर लीलाओं का चिंतन एवं कीर्तन करने से मोक्ष रूपी पुरुषार्थ एवं उससे भी बढ़कर भगवत प्रेम की प्राप्ति आसानी से हो सकती है। घर में नित्य प्रति रामचरितमानस का पाठ करने से उस घर में कभी कोई समस्या नहीं आती और घर के लोगों का मन शुद्ध रहता है।

  गोस्वामी तुलसीदास जी ने इस ग्रंथ में श्री सीताराम जी की कृपा से उनकी दिव्य लीलाओं का प्रत्यक्ष अनुभव किया व उनका यथार्थ वर्णन किया है। भगवान गौरी शंकर जी की गोस्वामी तुलसीदास जी पर अपार कृपा रही, जिनकी प्रेरणा से वे इस अलौकिक ग्रंथ की रचना कर पाए। इस ग्रंथ का जितना पठन-पाठन, प्रचार प्रसार ,चिंतन मनन होगा, उतना ही जगत का मंगल होगा इसमें तनिक भी संदेह नहीं है। वर्तमान युग में जब संपूर्ण विश्व में हाहाकार मचा है ,सारा संसार अशांति की भीषण ज्वाला से जल रहा है ,विज्ञान की सारी शक्ति पृथ्वी को श्मशान रूप में परिणत करने में लगी है ऐसे में जगत में सुख शांति एवं प्रेम का प्रसार करने तथा भगवत कृपा को जीवन में अनुभव करने के लिए रामचरितमानस का पठन-पाठन अत्यंत आवश्यक है।

गोलोक एक्सप्रेस की तरफ से रामचरितमानस की कथा को बहुत सुंदर प्रसंगों के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाने की पहल श्रीमती नीलम महाजन जी के द्वारा की जा रही है। अनेकों प्रसंगों को भावपूर्ण तरीके से प्रस्तुत कर बहुत ही सरल व प्रभावी ढंग से रामचरितमानस की शिक्षाओं को भक्तों के साथ सांझा करके उन्हें शिक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है। वर्तमान समय में रामचरितमानस एक ऐसा ग्रंथ है जो संबंधों की प्रगाढ़ता व कर्तव्य पालन की सही-सही शिक्षा देता है। प्रतिदिन रामचरितमानस का पठन-पाठन गृहस्थ जीवन को गृहस्थ आश्रम बनाने का स्वप्न साकार करने में मदद करता है। सांसारिक भवसागर से पार लगाकर मुक्ति का मार्ग भी इस ग्रंथ के माध्यम से प्रशस्त होता है। धन्य हैं हम सब जो गोलोक एक्सप्रेस से जुड़कर नित्य प्रति इस महानतम दिव्य ग्रंथ का अध्ययन कर पा रहे हैं।

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