संस्थापक (Founder)
गोलोक एक्सप्रेस के संस्थापक, माननीय श्री निखिल जी बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं। वर्तमान कलियुगी वातावरण में सांसारिकता के भंवर में फंसा साधारण मानव अपनी वैदिक संस्कृति व संस्कारों को पूरी तरह भूलता जा रहा है और निरंतर अवसाद, तनाव, क्रोध आदि विकारों से ग्रसित हो रहा है, ऐसे में टेक्नोलॉजी के माध्यम से गोलोक एक्सप्रेस बहुत अनोखी पहल के रूप में दिन दुगनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है। निखिल जी के दिव्य स्वप्न, घर घर मंदिर हर मन मंदिर के भक्ति यज्ञ में प्रभु भक्ति के इच्छुक जन अपनी सेवा रूपी आहुतियाँ देकर स्वयं को कृतार्थ कर रहे हैं।
गोलोक एक्सप्रेस के माध्यम से सप्ताह पर्यन्त श्रीमद् भगवत गीता, श्रीमद् भागवत महापुराण, श्री रामचरितमानस, दोहावली और बहुत से दिव्य ज्ञानयुक्त सत्संग कार्यक्रमों को यूट्यूब पर उपलब्ध करवाया जा रहा है। लाखों की संख्या में लोग इस मंच से जुड़कर अध्यात्मिकता के मार्ग पर अग्रसर हो रहे हैं।
अभी हाल ही में निखिल जी के भारत आगमन पर गोलोक एक्सप्रेस में भगवद्गीता के प्रचार प्रसार की गति में जबरदस्त तीव्रता देखी गयी है। देश के अलग अलग शहरों में Physical Satsang आयोजित किए गए, जिनमें हजारों की संख्या में भक्त जन एकत्रित हुए। इस समय “भगवद गीता सार रूप” पुस्तक का विमोचन भी किया गया। सत्संग में आए सभी भक्तजनों को निः शुल्क सरल भगवद गीता सार की पुस्तक, माला, माला बैग, टैलि काउंटर वितरित किए गए। इन सत्संग रैलियों में भक्तों का उत्साह देखते ही बनता था। भक्तों ने स्थान स्थान पर गोसदन, वृद्धाश्रम, अनाथाश्रम आदि में जाकर अपनी अपनी सेवाएँ दीं। इसके लिए सभी भक्तों का धन्यवाद किया गया।
कठोर परिश्रम, लगन-निष्ठा, विश्वास के साथ साथ प्रभु भक्ति के मार्ग पर चलते हुए जन कल्याण में कार्यरत निखिल जी को शत शत नमन है।

गोलोक एक्सप्रेस के संस्थापक (डॉ॰ निखिल गुप्ता जी) का संक्षिप्त जीवनी:
गोलोक एक्सप्रेस के संस्थापक के रूप में डॉ॰ निखिल गुप्ता जी का नाम अत्यंत आदर-सम्मान के साथ लिया जाता है, निखिल जी बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी व्यक्ति हैं। इनका जन्म 1 मई सन् 1981 में हिमाचल प्रदेश के एक अत्यंत खूबसूरत शहर चंबा में हुआ, इनका परिवार कुलीन व सम्पन्न परिवारों में गिना जाता था। इनकी विद्यालय की शिक्षा चंबा व चंडीगढ़ में सम्पन्न हुई, इस समय में वे बहुत अंतर्मुखी व शरमीले स्वभाव के बालक थे, लेकिन धीरे धीरे इनके व्यक्तित्व में निखार आता गया और इन्होंने विषयों को गहराई से देखना व समझना शुरू किया। इस समय इनके परिवार में बड़े लोग भक्तिभाव रखते थे, परंतु इनका जीवन एक साधारण बालक की तरह चल रहा था। लेकिन उनका आत्मविश्वास निरंतर बढ़ता जा रहा था।
विद्यालय की शिक्षा समाप्त कर उच्चशिक्षा प्राप्ति के लिए इन्होंने मनिपाल विश्वविद्यालाय में दाखिला लिया और वहाँ से एक सफल दंतचिकित्सक बनकर लौटे। इस दौरान उनके जीवन में बड़े उतार चढ़ाव आए, विभिन्न सांसारिक विषय भोगों की तरफ इनका रुझान बढ़ता जा रहा था, सांसारिक चकाचौंध इन्हें प्रभावित करने लगी थी। मित्रों के संग ने भी इन पर अपना असर दिखाना शुरू कर दिया था, बहुत कुछ प्राप्त करने की कामनाएँ भी इनमे जागृत होने लगी थीं, इन सबको पाने की इच्छा को लेकर वे सन् 2006 में आस्ट्रेलिया चले गए, वहाँ जाकर काम करना प्रारम्भ किया और सांसारिक आनंद में डूबते चले गए। इसी बीच कुछ माह के पश्चात ही ये एक भीषण सड़क दुर्घटना का शिकार हो गए, जिससे इनका पूरा जीवन अस्त व्यस्त होकर रह गया। विदेश में कोई अपना भी इनके पास नहीं, तब इन्होंने स्वयं को बहुत अकेला और निस्सहाय महसूस किया, ऐसे में इन्होंने प्रार्थना की, अगर वास्तव में कोई दिव्य शक्ति है, जो इस सम्पूर्ण सृष्टि का संचालन कर रही है, तो कृपया वो मेरी रक्षा करे, मैं अपना बाकी बचा सारा जीवन उसकी शरण में रहकर गुजारना चाहूँगा। प्रभु कृपा थी की इसके कुछ समय बाद ही ये पूर्णतः स्वस्थ हो गए, यहाँ से इनके जीवन जीने का तरीका बिलकुल बदल गया, दृष्टि व दृष्टिकोण बदल गया। इन्हें प्रभु का सामीप्य अनुभव होने लगा, भक्तिभाव जागने लगा। विभिन्न शास्त्रीय ग्रन्थों का अध्ययन करना प्रारम्भ कर दिया, समाज सेवा के कार्यों में भी रुचि लेने लगे, नाम जाप करना शुरू कर दिया।
निखिल जी ने जब श्रीमद्भगवद्गीता पढ़नी आरंभ की तो उसके कुछ समय बाद ही, जितना समझते थे, उसका ज्ञान अपने परिवार जनों के साथ बांटना शुरू कर दिया। क्योकि ये Sharing is caring, caring is love and love is devotion में विश्वास रखते थे, समय का क्रम ऐसे ही चलता रहा, लोग जुड़ते गए और कारवाँ बड़ा होता गया, अब skype और whats app पर सत्संग होने लगे। निखिल जी की वाकपटुता और इनके सकारात्मक रवैये को देखते हुए भक्तजन इनकी ओर शीघ्रता से अग्रसर होने लगे।
इसके बाद सन् 2014 में गोलोक एक्सप्रेस चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना चंबा शहर में की गई। निखिल जी ने गोलोक एक्सप्रेस के रूप में ऐसे गुरुकुल की स्थापना की है जहां हम सब इस कलयुगी वातावरण में दिव्य शास्त्रीय ग्रंथों का पठन-पाठन करके भक्ति के विषय रस और आनंद को अनुभव कर पा रहे हैं, शत शत नमन है, निखिल जी को, अपनी लगन, निष्ठा, कठोर परिश्रम व प्रभु पर अपनी असीम श्रद्धा के बल पर निरंतर आगे बढ़ते हुए अपने लक्ष्य तक पहुंचने में प्रयासरत हैं। गोलोक एक्सप्रेस एक भक्ति युक्त परिवार पर आधारित मॉडल है जहां पूरा परिवार एक साथ भक्ति के मार्ग पर चल सकता है। आज के युग में यह किसी चमत्कार से कम नहीं है।
निखिल जी का व्यक्तित्व स्वयं में अनोखा है, भक्तजनों को समय-समय पर अनेक प्रकार से प्रोत्साहित करते हैं, एक बहुत अच्छे वक्ता और श्रोता भी हैं, दूसरों की भावनाओं को महत्व देते हैं प्रभु श्री हरि की इनपर अपार असीम कृपा है, करुणा वान हैं, विनम्र हैं भक्तों के प्रेरणा स्त्रोत हैं, जनकल्याण की भावना सदा इनके हृदय में विराजती है। सबका साथ सबका विकास यह मंत्र पूरी तरह से निखिल जी पर चरितार्थ होता देख जा सकता हैं। इनके कुशल निर्देश में गोलोक एक्सप्रेस आज देश विदेश में आध्यात्मिकता के सफर में दिन दुगनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है, टेक्नोलॉजी के माध्यम से आध्यात्मिकता का प्रचार प्रसार अपने आप में एक अनोखी पहल है, और निखिल जी ने बड़ी खूबसूरती से इस पहल को अंजाम दिया था, निखिल जी का सपना हर घर मंदिर हर मन मंदिर साकार होता नजर आ रहा है। और इनसे जुड़े भक्तजन भी इस भक्ति यज्ञ में अपनी अपनी सेवा रूपी आहुति देकर स्वयं को कृतार्थ कर रहे हैं। निम्न पंक्तियां गोलोक एक्सप्रेस के संस्थापक हमारे गुरु निखिल जी पर पूरी तरह चरितार्थ होती देखी जा सकती हैं:
सात समुद्र की मसि बनाऊं, धरती को कागद करूं। जंगल कानन की मैं कलम बनाऊं, जो श्री गुरु महिमा को मैं न लिख पाऊं।।
हरि हरि बोल शत शत नमन है दिव्य प्रेरणा स्त्रोत निखिल जी को।