हम सभी ईश्वर के अंश हैं और ईश्वर के सभी दिव्य गुण हमारे भीतर भी निहित हैं, परंतु भगवान के साथ अपना रिश्ता भुला दिए जाने के कारण और कलियुग के प्रभाव के कारण आसुरी गुणों की अधिकता होने से ये दिव्य गुण उसी प्रकार हमारे भीतर छिपे रहते हैं जैसे दूध में मक्खन। भक्ति मार्ग को जीवन में अपनाने पर और नियमित रूप से आध्यात्मिक अभ्यास करने पर इन दिव्य गुणों का मंथन होता है और व्यक्ति की छिपी प्रतिभा उभरकर सामने आने लगती है और गोलोक एक्सप्रेस का हमेशा प्रयास रहता है की इन प्रतिभाओं के विकास को और प्रोत्साहन मिले ताकि भक्त समाज कल्याण में और गोलोक एक्सप्रेस के मिशन घर घर मंदिर हर मन मंदिर में अपना यथासंभव योगदान दे सकें।
गोलोक एक्सप्रेस एक ऐसी संस्था है जहां विचारों और दिव्य अनुभवों के दो तरफा संचार को बढ़ावा दिया जाता है और भक्तों को भी समान रूप से अपने विचार व अनुभव साझा करने का मौका दिया जाता है। साथ ही साथ गोलोक एक्सप्रेस का उद्देश्य भक्तों के बहुआयामी विकास पर केंद्रित है। इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु सभी भक्तों को गोलोक एक्सप्रेस में भक्ति से संबंधित अपने भावों और अपने अनुभवों को रचनात्मक तरीके से साझा करने के लिए गोलोक एक्सप्रेस के यू ट्यूब चैनल पर एक अनुभाग दिव्य कविताओं का भी रखा गया है। आध्यात्मिकता एक ऐसा विज्ञान है जिसे अपने जीवन में अपनाने के बाद ही अनुभव किया जा सकता है और इन्हीं अनुभवों से प्रेरित होकर ज्यादा से ज्यादा लोग इस पथ की ओर अग्रसर हों और भक्ति मार्ग की प्रमाणिकता को समझ पाएं, इसी प्रयोजन की पूर्ति हेतु दिव्य कविताओं को साझा करने का प्रावधान किया गया है, जहां भक्त अपने अनुभवों को रचनात्मक रूप देकर प्रभु के ज्ञान को स्तुति रूप में प्रस्तुत करते हैं और गुरु जनों के द्वारा दी गई शिक्षाओं के मोती कविता रूप में पिरोकर गागर में सागर भरते हुए भक्ति के अमृत को उनके भक्तों को सहज रूप से बांटने का प्रयास करते हैं। आध्यात्मिक अनुभूतियों को साझा करने के साथ साथ ऐसे मंच की सुलभता होने से भक्तों की सृजनशीलता के विकास को भी बढ़ावा मिलता है और उनके सार्वजनिक वक्तव्य कौशल को भी प्रोत्साहन मिलता है।