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Devotion with Family

हरि हरि बोल भक्तो। गोलोक एक्सप्रेस एक व्यापक विचारों वाला भक्ति पर आधारित समुदाय है। गोलोक एक्सप्रेस की विचारधाराएं व मत अपने आप में अनूठे हैं, जो समाज में प्रचलित अनेक गलत अवधारणाओं का खंडन करते हैं।समाज में प्राय: यह एक मुख्य गलत भ्रान्ति होती है, कि भक्ति के रास्ते पर चलने के लिए घर-परिवार का त्याग करना पड़ता है, क्योंकि घर में रहकर भक्ति करना अत्यंत दुष्कर व असाध्य कार्य माना जाता है, परन्तु गोलोक एक्सप्रेस के अनुसार यह एक अज्ञान जनित भ्रम मात्र है, ऐसे लोग भक्ति का वास्तविक अर्थ नहीं समझते. वे भक्ति को परिवार से अलग करके करना जानते हैं, उन्हें ये नहीं पता कि वास्तव में परिवार को छोड़कर जंगल में जाकर भक्ति करने से कहीं अधिक श्रेष्ठ है परिवार के साथ रहकर मिलजुल कर प्रभु भक्ति का आनंद उठाना। छोड़ना है तो अपने विषय विकारों जैसे अहंकार , क्रोध , ईर्ष्या द्वेष, लोभ आदि को। गोलोक एक्सप्रेस की एक बहुत सुंदर टैग लाईन इसी भाव को दर्शाती है ,Family Prays together, Stays together, Grows together , अर्थात जो परिवार एक साथ प्रार्थना करता है, एक साथ रहता है एक साथ विकास भी करता है।
जब परिवार में सभी लोग एक साथ मिलजुल कर भक्ति के रास्ते पर चलते हैं, तो इसमें अनेकों फायदे दृष्टिगोचर होते हैं, जैसे सर्वप्रथम हमारे अन्दर दैवीय गुण, धैर्य, शांति. प्रेम, सद्भाव , स्थिरता, विनम्रता ,क्षमा ,दया आदि गुण बढ़ने लगते हैं। हम आपस में एक दूसरे के विचारों को सुनना व समझना सीखते हैं, इससे हमारे आपसी रिश्ते सुधरते हैं, और सुदृढ़ भी होते हैं। परिवार में बच्चों व बुजुर्गो के बीच उम्र का फासला कम होने लगता है, क्योंकि सबके बीच एक सामान्य विषय के रूप में भक्ति को स्थान मिलने लगता है।परिवार के सदस्यों में प्रेम व आपसी सद्भाव की भावना पनपने लगती है, जिससे सर्वत्र खुशी व आनंद का वातावरण बनने लगता है। परिवार में प्रत्येक क्षेत्र में समभाव व संतोष देखने को मिलता है, सब लोग भक्ति से जुड़े कार्यों में रुचि लेने लगते हैं, जिससे सारा परिवार धीरे धीरे आध्यात्मिकता के रास्ते पर आगे बढ़ने लगता है। इसलिए कहा जा सकता है कि परिवार में रहकर मिलजुलकर भक्ति करता श्रेष्ठ है, गृहस्थ जीवन को तो वैसे भी गृहस्थाश्रम की संज्ञा दी जाती है, जहां माता-पिता एक आदर्श गुरु की भूमिका निभाते हुए अपनी संतान को यथोचित मार्गदर्शन करते हुए अपने गृहस्थ जीवन के सभी दायित्वों का पूर्ण रूप से वहन करते हैं। गोलोक एक्सप्रेस में अनेक ऐसे परिवार – इसके उदाहरण हैं, जहां छोटे बड़े सभी सदस्य परिवार में रहकर भक्ति करते हुए, भक्ति के आनंद में रत, निरंतर इस रास्ते पर आगे बढ़ने में प्रयासरत हैं। गोलोक एक्सप्रेस से जुड़कर ही हम सब इस बात को जान पाए हैं-कि परिवार के साथ भक्ति का आनंद कुछ विशेष तरह का होता है, शत-शत नमन है. गोलोक एक्सप्रेस के संस्थापक निखिल जी को जो इतनी खूबसूरती से इस भक्ति मार्ग पर हमें चलाने में प्रयासरत हैं।

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