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4 Pillars of Spiritual life

अध्यात्म के चार स्तंभ (4 pillars of spiritual life)

संपूर्ण रूप से स्वस्थ और खुश रहने के लिए हमें चाहिए कि हम आध्यात्मिक उन्नति करें, जैसा कि हमने (संपूर्ण स्वास्थ्य एवं संपूर्ण खुशी ) वाले मॉडल में समझा कि आध्यात्मिक स्वास्थ्य का अच्छा होना ही संपूर्ण स्वास्थ्य एवं खुशी का आधार है ।

                    जब हम कोई इमारत बनाते हैं तो सबसे पहले नींव रखी जाती है और चार स्तंभ बनाए जाते हैं ,जिनके ऊपर पूरी इमारत टिकती है। इसके लिए स्तंभों का मजबूत होना बहुत जरूरी है ताकि इमारत भी मजबूत हो। इसी तरह से आध्यात्मिक स्वास्थ्य को मजबूत करने के लिए भी चार स्तंभों को मजबूत करना पड़ेगा।वो  स्तंभ इस प्रकार हैं –

1. सत्संग
2. साधना
3. सेवा 
4. सदाचार

सत्संग शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है- सत और सगं । सत्त का अर्थ है – सत्य और संग का अर्थ है साथ अर्थात सत्य का साथ।और इस सृष्टि में एकमात्र सत्य तो सिर्फ परमपिता परमेश्वर ही है।
                जब हम किसी के साथ उस परमेश्वर के नाम, रूप, गुण और लीला की चर्चा करते हैं तो वह सत्संग होता है। यह चर्चा हम बहुत लोगों के साथ भी कर सकते हैं और एक व्यक्ति के साथ भी कर सकते हैं ।यह चर्चा हम एक दूसरे के साथ आमने-सामने बैठकर भी कर सकते हैं और फोन पर भी कर सकते हैं।अध्यात्म में हम अगर आगे बढ़ना चाहते हैं तो उसके लिए पहला कदम सत्संग ही है।भगवद गीता में भी सत्संग की महिमा बताई गई है। भगवान श्री कृष्णा भी अर्जुन को बताते हैं कि अगर सत्य को जानना है तो वह हमें हमारे आध्यात्मिक गुरु या कोई प्रामाणिक पुरुष ही बता सकते हैं। भगवद गीता में श्रवण का भी बहुत महत्व बताया गया है। जब हम सत्संग में बार-बार कोई बात सुनते रहते हैं तो हमारे अवचेतन मन में जो हमारे पुराने संस्कार होते हैं और जो पुरानी मान्यताएं होती हैं ,वह बदलने लगती हैं और हमारा देखने का नजरिया भी बदलने लगता है। शास्त्रों में भी भक्ति के बारे में कहा गया है कि ”  पहली भक्ति संतन करि संगा । “. हमारे जीवन में भक्ति तब आती है ,जब हमें भक्तों का संग मिलता है और भक्तों का संग सत्संग में ही मिल सकता है। रामायण में भी एक चौपाई में आता है कि   ” बिन सत्संग विवेक ना होई।”
सत्संग से हम विवेकशील बनते हैं ।हमारे आध्यात्मिक गुरु हमारे जीवन का अंधकार खत्म करते हैं और अपने ज्ञान से जीवन को रोशनी से भर देते हैं ।सत्संग में हमें अपने आध्यात्मिक गुरु की पॉजिटिव ऊर्जा भी मिलती है ।जिससे ज्ञान के साथ-साथ शांति भी मिलती है। सत्संग में हमारे मन के संशय भी खत्म होते हैं। सत्संग से हमें सही और गलत का पता चलता है और हमारे विकार भी पता चलते हैं और उन्हें ठीक कैसे करना है, यह समझ भी सत्संग से ही आती है। इसलिए हमें हमेशा सत्संग से जुड़ने और समझने का प्रयास करते रहना चाहिए।

               

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