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Saral Bhagavatam

सरल भागवतम्

वेदव्यास जी द्वारा रचित श्रीमद् भागवत महापुराण भारतीय वाङ्‌मय का मुकुटमणि है। समस्त वैष्णव सम्प्रदाय इसे वेदों के समान आदर सम्मान की दृष्टि से देखते हैं, इसे समस्त वैदिक साहित्य का सार ग्रन्थ कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। इसे भगवान श्री कृष्ण का साक्षात वाङ्मय स्वरूप माना गया है, साक्षात भगवान के कलावतार श्री वेदव्यास जी ने नारद जी से प्रेरणा पाकर इस ग्रन्थ की रचना की और अगाध सुख, शक्ति को प्राप्त किया। ऐसे श्रीमदभागवत महापुराण की महिया अवर्णनीय है।

श्रीमदभागवत महापुराण हिन्दू शास्त्र ग्रन्थों के 18 पुराणों मे प्रमुख है। इसमे प्रेम, भक्ति ज्ञान, विज्ञान, वैराग्य आदि अनेक विषय समाहित हैं। इसका हर एक श्लोक मन्त्रवत् माना गया है। इसकी विषय वस्तु को 10 श्रेणियों में विभक्त किया गया हैं, सर्ग, निसर्ग, स्थानम्, पोषणम्, उति, मन्वन्तर, इशानुकथा, निरोध , मुक्ति व आश्रय । इन 10 श्रेणियों में विभक्त विषय वस्तु में अनेक विषयों का समावेश देखने को मिलता है, जैसे भक्ति योग, :  ब्रह्ममाण्ड उत्पति- भगवान कृष्ण का बाल चरित्र – ध्रुव एवं राजा बलि का चरित्र, समुद्र ,नदी, पाताल, नरक की स्थिति , देवता मनुष्य, पशु-पक्षी आदि की जन्म कथाएँ, हिरण्याक्ष, हिरण्यकष्यप एवं प्रहलाद का चरित्र – गजेन्द्र मोक्ष कथा, वामनावतार मन्वन्तर कथा, राजवंशों की वंशावलि , श्री हरि की कथा, भगवान कृष्ण की लीलाएं, यदुवंश का संहार, विभिन्न युगों , प्रलयों व भगवान के उपांगों का स्वरूप वर्णित है।

श्रीमद भागवत महापुराण में 12 स्कन्ध – 18 हजार श्लोक व 335 अध्याय है। 12 स्कन्ध प्रभु के शरीर के अंग माने जाते हैं, श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञान, भक्ति व वैराग्य की महिमा दर्शाने वाला अभूतपूर्व ग्रन्थ है, ज्ञान का अक्षय भण्डार है। यह ग्रन्थ सभी जन के लिए सुखकारी व कल्याणकारी है। 

श्रीमदभागवतम् में मुख्य रूप से तीन संवाद हैं :

1. शुकदेव गोस्वामी और परीक्षित महाराज के मध्य संवाद ।

2. सूत गोस्वामी जी के माध्यम से नैमिष्यारण्य में 88 हजार शौनकादि ऋषि-मुनियों द्वारा श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण। 

3 . मैत्रेय विदुर संवाद।

श्रीमद्भागवत ग्रन्थ की महिमा :- 

सभी शास्त्र ग्रन्थों के सार श्रीमद् भागवत महापुराण को सुनना व सुनाना दोनों ही मुक्ति प्रदायी है। इसकी कथा का आयोजन परिवारों में पितृ शान्ति के लिए अवश्य किया जाना चाहिए, इसके पठन-पाठन में आत्मिक ज्ञान प्राप्त होता है व सांसारिक दुखों का नाश होता है।

यह ग्रन्थ सभी मनोरथों को पूर्ण करने वाला व सम्पूर्ण मानव जाति को परमानन्द की प्राप्ति करवाने वाला है। ऐसा माना जाता है, भागवत कथा सुनने का फल सभी पुण्य तीर्थों की यात्रा के फल से बढ़ कर होता है। इस ग्रन्थ को निर्मल मन व स्थिर चित्त के साथ सुनना चाहिए तभी हम प्रभु धाम जाने के अधिकारी बन सकते हैं।

गोलोक एक्सप्रेस ग्रुप मे श्रीमद् भागवतम् को अत्यन्त सरल व मनमोहक ढंग से श्रवण करवाने का सारा श्रेय श्रीमती प्रीति गुप्ता जी को जाता है। प्रीति जी पर श्रीहरि की विशेष कृपा है। जब वे व्यासपीठ पर बैठकर कथा करती हैं, तब तो साक्षात देवी सरस्वती उनकी जिह्वा पर विराजती हैं, और कथा सुनने में बहुत आनंद आता है। गोलोक एक्सप्रेस में श्रीमद् भागवत कथा का सत्संग सप्ताह में दो बार यूट्यूब पर प्रसारित होता है। धन्य हैं हम सब जो घर बैठे ही दिव्य शास्त्र ग्रन्थों का अध्ययन कर पा रहे हैं, और स्वयं को प्रभु भक्ति के रास्ते पर अग्रसर होने में सक्षम बना पा रहे हैं।

गोलोक एक्सप्रेस के संस्थापक डॉ निखिल जी को शत शत नमन है, जो इस कलियुगी वातावरण में भी जन-जन तक दिव्य शास्त्र ग्रन्थों के ज्ञान का प्रचार प्रसार कर रहे हैं। यह सम्पूर्ण मानव जाति को आध्यात्मिकता की और ले जाने में अभूतपूर्व कदम है, गोलोक एक्सप्रेस के सभी सीनियर मेन्टर्स व पूरी फाउंडिंग टीम को बहुत-बहुत धन्यवाद – जो निखिल जी के घर घर मन्दिर हर मन मन्दिर संकल्प में अपना योगदान दे रहे हैं।

हरि-हरि बोल |

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